Krishi Gyan - कृषि ज्ञान: खरीफ दलहनों में चूसक कीटों का प्रबंधन

खरीफ दलहनों में चूसक कीटों का प्रबंधन

खरीफ दलहनों मे क्रमष: मूँग, मोठ, उड़द, चँवला, अरहर आदि प्रमुख रूप से उगाई जाती है। चूंकि दलहनों में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, रेशे एवं वसा की भरपूर मात्रा होने के साथ ही ये विभिन्न अमिनो अम्ल, विटामिन और खनिज लवण से समृद्ध होती है। भरपूर पौष्टिकता के अतिरिक्त सुपाच्य व सात्विक होने के कारण दलहन को मरीज का भोजन भी कहा जाता है। ज्ञात हों की इन फलीदार फसलों के द्वारा वायुमण्डलीय नत्रजन (नाइट्रोजन) का स्थिरीकरण करके मृदा की उर्वरा शक्ति को बढ़ाया जाता है। तथा इनकी खेती बारानी व सिंचित दोनों ही परिस्थितियों मे की जाती है, किन्तु कम सिंचाई मे होने से शुष्क क्षेत्रों मे अन्य फसलों की अपेक्षा ज्यादा मुनाफा लिया जाता है। दलहनी फसलों के भी कई कीट एवं रोग नुकसान पहुंचाते है, जिनमें चूसक कीट इनके उत्पादन को सबसे ज्यादा प्रभावित करते है।

दलहनी फसलों के प्रमुख चूसक कीट:-

मोयला/चैपा/एफिड (एफिस क्रेक्सिवोरा):-

यह कीट पौधों के कोमल भागो, फूलों एवं फलियों पर रस चुसते है। इसके प्रकोप से फूलों मे परागण प्रभावित होने से फूल काफी हद तक झड़ जाते है एवं फलियां नही बन पाती है, और यदि बन गयी तो उनमें दानें कमजोर रह जाते है। इसका प्रकोप देरी से बोने वाली फसल में ज्यादा होता है।

जेसिड (एम्पोस्का स्पिसीज):-

यह कीट पौधों की पत्तीयों के नीचे रहकर रस चूसते है और कोशिकाओं मे जहरीली लार डाल देते है। अधिक प्रकोप होने पर पत्तीयां किनारों से मुड़ कर भूरी पड़ जाती है, जो झुलसी हुइ दिखने के कारण होपरबर्न कहलाती है। इसके अतिरिक्त यह कीट खेत मे सफेद मक्खी के द्वारा फैलाये जाने वाले पीत पच्चीकारी विषाणु (येलो मोज़ेक वाइरस) को एक पौधे से दुसरे पौधों मे फैलाने का कार्य करते है।

सफेद मक्खी/व्हाइट फ्लाई (बेमिसिया टाबेसाई):-

यह सफ़ेद रंग का छोटा कीट पौधों के कोमल भागो, फूलों एवं फलियों पर रस चुसता है। यह कीट पौधों मे होने वाले पीत पच्चीकारी विषाणु (येलो मोज़ेक वाइरस) नामक बिमारी के रोग कारक का वाहक होता है।

प्रबंधन एवं नियन्त्रण:-

v  फसल के चारो ओर गेंदे के फूल को पाष फसल (ट्रैप क्रोप) के रूप में उगायें।

v  कीट के प्रकोप की निगरानी रखते हुए पीले चिपचिपे पाष (येलो स्ट्रीकी ट्रेप) काम में लेवें। दस पीले चिपचिपे पाष प्रति हैक्टेयर के लिए पर्याप्त है।

v  रस चूसक कीटों के रासायनिक नियन्त्रण के लिए डाईमेथोएट 30 ई.सी. को 1.2 लीटर या ईमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. को 200 मि.ली. या थायमिथोक्ज़ाम 25 डब्ल्यू.जी. को 100 ग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से 600 लीटर पानी मे घोल बनाकर छिड़काव करें। यदि आवश्यकता हों तो छिड़काव 15-20 दिन बाद दोहरायें।