दलहनी फसलों के प्रमुख चूसक कीट:-
मोयला/चैपा/एफिड
(एफिस क्रेक्सिवोरा):-
यह कीट पौधों के कोमल भागो, फूलों एवं फलियों पर रस चुसते है। इसके प्रकोप से फूलों मे परागण प्रभावित होने से फूल काफी हद तक झड़ जाते है एवं फलियां नही बन पाती है, और यदि बन गयी तो उनमें दानें कमजोर रह जाते है। इसका प्रकोप देरी से बोने वाली फसल में ज्यादा होता है।
जेसिड
(एम्पोस्का स्पिसीज):-
यह
कीट पौधों की पत्तीयों के नीचे रहकर रस चूसते है और कोशिकाओं मे जहरीली लार डाल
देते है। अधिक प्रकोप होने पर पत्तीयां किनारों से मुड़ कर भूरी पड़ जाती है, जो
झुलसी हुइ दिखने के कारण होपरबर्न कहलाती है। इसके अतिरिक्त यह कीट खेत मे सफेद
मक्खी के द्वारा फैलाये जाने वाले पीत पच्चीकारी विषाणु (येलो मोज़ेक वाइरस) को एक
पौधे से दुसरे पौधों मे फैलाने का कार्य करते है।
सफेद
मक्खी/व्हाइट फ्लाई (बेमिसिया टाबेसाई):-
यह सफ़ेद
रंग का छोटा कीट पौधों के कोमल भागो, फूलों
एवं फलियों पर रस चुसता है। यह कीट पौधों मे होने वाले पीत पच्चीकारी विषाणु (येलो
मोज़ेक वाइरस) नामक बिमारी के रोग कारक का वाहक होता है।
प्रबंधन
एवं नियन्त्रण:-
v
फसल के चारो ओर गेंदे के फूल
को पाष फसल (ट्रैप क्रोप) के रूप में उगायें।
v
कीट के प्रकोप की निगरानी
रखते हुए पीले चिपचिपे पाष (येलो स्ट्रीकी ट्रेप) काम में लेवें। दस पीले चिपचिपे
पाष प्रति हैक्टेयर के लिए पर्याप्त है।
v
रस चूसक कीटों के रासायनिक
नियन्त्रण के लिए डाईमेथोएट 30 ई.सी. को 1.2 लीटर या ईमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल.
को 200 मि.ली. या थायमिथोक्ज़ाम 25 डब्ल्यू.जी. को 100 ग्राम प्रति हैक्टेयर की दर
से 600 लीटर पानी मे घोल बनाकर छिड़काव करें। यदि आवश्यकता हों तो छिड़काव 15-20 दिन
बाद दोहरायें।