Krishi Gyan - कृषि ज्ञान: मेटाराइजियम का प्रयोग जैविक कीटनाशक के रूप मे

मेटाराइजियम का प्रयोग जैविक कीटनाशक के रूप मे

"मेटाराइजियम एनिसोप्लीएक प्रकार की एंटोमोपैथोजेनिक फंजाई (कीटरोगजनक फफूंद) होती है, जो की एक फफूँद आधारित जैविक कीटनाशक के

रूप मे जानी जाती है।यह विभिन्न प्रकार की फसलोंफलों एवं सब्जियों में लगने वाले कीट, विशेषरूप से खेत में दीमक एवं सफेद लट आदि की रोकथाम के लिए बहुत कारगर तरीके से उपयोगी होता है। मेटाराइजियम अधिक तापक्रम तथा कम आर्द्रता की परिस्थिति मे भी अधिक प्रभावी होती है। मेटाराइजियम का प्रयोग करने के कम से कम 15 दिन पहले व बाद में रासायनिक फफूंदनाशी दवा का प्रयोग नहीं करें। एक बार खेत मे मेटाराइजियम का प्रयोग करने के बाद यह लगभग एक वर्ष तक प्रभावी रहती है।

मेटाराइजियम के प्रयोग की विधि:-

  • मेटाराइजियम को 2.5 कि.ग्रा. प्रति हैक्टेयर के हिसाब से 100 कि.ग्रा. गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट में मिलाकर खेत मे अन्तिम जुताई से ठीक पहले मृदा उपचार के रूप मे प्रयोग करना सर्वाधिक कारगर होता है।
  • खड़ी फसल में कीटों के नियंत्रण के लिए 2.5 कि.ग्रा. मेटाराइजियम को प्रति हैक्टेयर की दर से 600 लीटर पानी में मिलाकर सायंकाल के समय छिड़काव करें, तथा आवश्यकता पड़े  10-15 दिन के अंतराल पर दोहराया जा सकता है।