जैविक तरीके से फसलों/फलदार पौधों/सब्जियों आदि मे लगने वाले कीटों के उचित व प्रभावकारी प्रबंधन के लिए विभिन्न प्रकार के कीटनाशी गुणों वाले खरपतवारों का उपयोग तरल
खाद बनाने के लिए किया जा सकता है।कीटनाशी गुणों वाले खरपतवार:- आक, निर्गुण्डी,
गाजर घास,
पंचफूली आदि।
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कीटनाशी गुणों वाले खरपतवारों की 30 कि.ग्रा. पत्तियाँ और कोमल भागों को इकठ्ठा करके उनको अच्छे से कूट-पीट कर छोटे-छोटे टुकड़े करें या सबसे अच्छा रहेगा यदि उनको चटनी जैसा पीस लें और उन्हे 200 लीटर पानी से भरे ड्रम में डाल दें।
- अब उसमे 30 कि.ग्रा. देशी गाय का गोबर + 15 लीटर गौमुत्र को अच्छी तरह मिलाने के बाद उक्त ड्रम में डाल दें।
- इसके बाद 5 कि.ग्रा. खेत की स्वस्थ मिट्टी लेकर इसे भी ड्रम में मिला दें।
- अच्छी तरह मिश्रण को मिलाने के बाद मोटे कपड़े/टाट की बोरी से पात्र का मुंह बांध कर इसे ढक दें।
- अब सात दिनों (एक सप्ताह) तक रोजाना दिन में दो बार लकड़ी से अच्छी तरह हिलाये, और इसके बाद एक सप्ताह में एक बार अलगे तीन सप्ताह तक हिलायें। इस प्रकार कुल 30 दिनों में यह गोल तैयार हो जाएगा।
- इस तैयार घोल को सूती महीन कपड़े से छानकर अलग कर लें।
उक्त तैयार सांद्रित घोल में 10 गुणा पानी मिलाकर फसलों/फलदार पौधों/सब्जियों आदि पर पर्णीय छिड़काव हेतु उपयोग किया जा सकता है।
फसलों/पौधों पर पर्णीय छिड़काव के अतिरिक्त इस घोल का उपयोग मृदा उपचार एवं सिंचाई के साथ दे कर भी किया जाना चाहिए।
छिड़काव को आवश्यकता के अनुसार हर 10-15 दिनों के अंतराल पर दोहरायें।
नोट:- अच्छे परिणाम के लिए प्रत्येक छिड़काव मे अलग-अलग खरपतवार कि पत्तियाँ उपयोग मे ली जानी चाहिए, जिससे कि कीटों मे प्रतिरोधकता उत्पन्न नहीं हों।