Krishi Gyan - कृषि ज्ञान: फसल उत्पादन में रॉक फॉस्फेट का उपयोग

फसल उत्पादन में रॉक फॉस्फेट का उपयोग

फास्फोरस फसलों द्वारा आवश्यक महत्वपूर्ण पोषक तत्वों में से एक है और कई मृदाओं में इसकी उपलब्धता फसल की पैदावार को सीमित करती है। सामान्य तौर पर, भारतीय मृदायें फॉस्फोरस की उपलब्धता में अक्षम होती है, अतः अच्छी फसल के लिए फॉस्फोरस का अतिरिक्त अनुप्रयोग

आवश्यक होता है। इसके अलावा, फॉस्फेटिक उर्वरकों का निर्माण इस तरह किया जाता है कि उनसे पानी में घुलनशील रूप में फास्फोरस उपलब्ध हो सकें। लेकिन उर्वरकों के उपयोग के कुछ ही दिनों बाद, पानी में घुलनशील फास्फोरस को मृदा में स्थिरीकरण द्वारा पुनः पानी में अघुलनशील रूप में बदल दिया जाता है। और इस तरह रूपांतरण के बाद, फॉस्फोरस की घुलनशीलता पौधों, मिट्टी के सूक्ष्मजीवों और कार्बनिक पदार्थों पर निर्भर रह जाती है। फसल उत्पादन के लिए फॉस्फोरस के प्रत्यक्ष स्रोत के रूप में फॉस्फेट रॉक के स्वदेशी स्रोतों द्वारा उच्च लागत वाले पानी में घुलनशील फॉस्फेट उर्वरकों को स्थानापन्न करना ही एक विकल्प है।

रॉक फॉस्फेट (फॉस्फोराइट) एक गैर-हानिकारक तलछटी चट्टान (सेडिमेंट्री रॉक) होती है, जिसमें फॉस्फेट युक्त खनिजों की उच्च (2040 प्रतिशत) मात्रा होती है। तलछटी चट्टानों का निर्माण पृथ्वी की सतह पर और जल निकायों के पेटे में विभिन्न पदार्थों के अवसादन द्वारा होता है।

फॉस्फेट के दो मुख्य स्रोत है; जिनमें (1) समुद्री पक्षीयों की बीट (गुआनो) और (2) कैल्शियम फॉस्फेट खनिज एवं एपेटाइट युक्त चट्टाने

  • भारत के रॉक फॉस्फेट उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में 92 प्रतिशत योगदान झामरकोटड़ा माईन्स (राजस्थान स्टेट माईन्स एण्ड मिनरल्स लिमिटेड, उदयपुर) का है।
  • फॉस्फेट रिच ओर्गेनिक मेन्योर (PROM/प्रोम) नामक जैविक उर्वरक को आर.एस.एम.एम.एल., उदयपुर द्वारा फार्म अवशेष, गोबर एवं अन्य कार्बनिक पदार्थों के साथ उच्च श्रेणी के रॉक फॉस्फेट का उपयोग करके विकसित किया गया है।
  • उदासीन/तटस्थ और क्षारीय मिट्टी के लिए उपयुक्त होता है, जो भारतीय किसानों के लिए एक वरदान साबित हो सकता है।
  • प्रोम (PROM) तकनीक के व्यावसायीकरण से कचरे के उपयोग में मदद मिलने के साथ ही रॉक फॉस्फेट खनिज के संरक्षण में भी सहायता मिलेगी, क्योंकि प्रोम बहुत ही अच्छा अवशिष्ट प्रभाव प्रदर्शित करता है।
  • देश के विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों की अनुसंधान इकाइयों के माध्यम से किए गए क्षेत्र परीक्षणों से यह सिद्ध हो चुका है कि, इस नये फॉस्फेटिक उर्वरक (प्रोम) की कृषि प्रभावकारिता बाजार में उपलब्ध अन्य जटिल फॉस्फेटिक उर्वरकों की तुलना में अधिक होती है।

रॉक फॉस्फेट का महत्व

  • पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक पौषक तत्वों मे नत्रजन के बाद फॉस्फोरस ही सबसे अधिक महत्वपूर्ण होता है।
  • फॉस्फोरस पहला तत्व है जिसका सर्वप्रथम उर्वरक के रूप मे एस.एस.पी (सिंगल सुपर फॉस्फेट) उत्पाद के नाम से रॉक फॉस्फेट के उपयोग द्वारा निर्माण एवं आपूर्ति की गयी थी।
  • फसल उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण फास्फोरस तत्व की आपूर्ति के लिए फॉस्फेटिक उर्वरकों के वैकल्पिक साधनों की खोज के लिए पिछले कुछ वर्षों में काफी शोध किए गए है, जिसमे अनुसंधान सामग्री के रूप मे कम लागत वाले स्वदेशी पदार्थों जैसे; रॉक फॉस्फेट, कृषि एवं पशु अवशेष और फसल अवशेष आदि के उपयोग पर ध्यान केंद्रित किया गया था।
  • सीमित संसाधन एवं छोटी भूमि जोत वाले किसान समूह के लिए कृषि निवेश की आवश्यकता पूर्ति हेतु उपलब्ध पारंपरिक स्रोतों के विकल्प अधिक उपयुक्त साबित हो सकते है।