Krishi Gyan - कृषि ज्ञान: फसल अवशेष प्रबंधन: मृदा की गुणवत्ता के लिए बेहतर समाधान

फसल अवशेष प्रबंधन: मृदा की गुणवत्ता के लिए बेहतर समाधान

कृषि फसल अवशेष दो प्रकार के होते है;

प्रक्षेत्र अवशेष:- फसलों की कटाई के बाद खेत में ही बेकार छोड़ दी जाने वाली अपशिष्ट सामग्री (घास-फूसभूसापुवालपौधों के तने एवं ठूँठ आदि) को प्रक्षेत्र अवशेष (फार्म वेस्ट) कहा जाता है।

कृषि-औध्योगिक अवशेष:- फसल उपजों के प्रसंस्कृत या संसाधित करने के बाद बेकार छोड़ दी जाने वाली अपशिष्ट सामग्री को कृषि-औध्योगिक अवशेष (एग्रो-प्रोसेस रेसिड्यू) कहा जाता है।

आर्थिक मूल्य के लिए उपयोग:- आर्थिक मूल्य वर्धन के रूप मे फसल अवशेषों को प्रभावी ढंग से कई अलग-अलग तरीकों से उपयोग किया जा सकता है;

1. पार्टिकल बोर्ड (Particle Board):- आजकल पार्टिकल बोर्डों के निर्माण में फसल अवशेषों का उपयोग बढ़ा है, जिनको फ़र्निचर आदि बनाने मे काम लिया जाता है

2. पुआल-बिस्तर (Stubble Mulching):- कई फसलों के उत्पादन मे पुआल-बिस्तर (पलवार) के रूप मे फसल अवशेषों का उपयोग किया जाता है

3. देशी खाद (Compost):- फसल अवशेषों का उपयोग सीधे ही देशी खाद तैयार करने मे व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। तथा मशरूम की खेती के लिए विशेष रूप से तैयार की जाने वाली खाद मे भी फसल अवशेष (Straw/भूसा) का ही उपयोग होता है।