अनाज उत्पादन
मे गेहूँ का
प्रमुख स्थान है। इसकी खेती समान्यतः सिंचित क्षेत्रों
मे की जाती है।
उन्नत किस्में: राज 4037, राज 4083, राज 4120, राज 3777, राज 4079, जी.डब्ल्यू. 11, राज 4238
अनाज उत्पादन
मे गेहूँ का
प्रमुख स्थान है। इसकी खेती समान्यतः सिंचित क्षेत्रों
मे की जाती है।
उन्नत किस्में: राज 4037, राज 4083, राज 4120, राज 3777, राज 4079, जी.डब्ल्यू. 11, राज 4238
विविध उन्नत किस्मों की उपज क्षमता के अनुसार अधिकतम उत्पादन प्राप्त करने के लिए यह बहुत ही आवश्यक है कि "समन्वित पौषक तत्व प्रबन्धन (आई.एन.एम.)" को अपनाया जाय। तथा इस "इंटिग्रेटेड न्यूट्रीयेंट मैनेजमेंट (I.N.M.)" कार्यक्रम के तहत विभिन्न फसलों के लिए अनुशंसित
सभी आवश्यक मुख्य एवं सूक्ष्म पौषक तत्वों कि पूर्ति करने हेतु खाद एवं उर्वरकों की मात्रा का समुचित प्रयोग मृदा परीक्षण फसल अनुक्रिया के आधार पर ही किया जाना चाहिए।फसलों मे मुख्य (नत्रजन, फॉस्फोरस, पोटाश) पौषक तत्वों कि पूर्ति अनुमोदनानुसार उपलब्ध विभिन्न जैविक खाद एवं उर्वरक के स्त्रोतों के संयुक्त प्रयोग द्वारा करनी चाहिए, जिससे कि उत्पादन स्तर के साथ ही मृदा स्वास्थ्य को भी कायम रखा जा सकें। इसके अतिरिक्त यदि पौधे किन्ही कारणों से किसी भी पौषक तत्व कि कमी के लक्षण प्रदर्शित करें तो निम्नानुसार पौषक प्रबन्धन किया जाना चाहिए;
सामान्यतः
अनाज वाली फसलों में:
दलहनी फसलों में:-
तिलहनी फसलों में:-