Krishi Gyan - कृषि ज्ञान: जैविक खेती
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मृदा की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए जैव उर्वरकों का प्रयोग

आज कृषि उत्पादन को लगातार बढ़ाना कृषि वैज्ञानिकों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। सघन खेती से मृदा में पोषक तत्व धीरे-धीरे कम होते जा रहे हैं। इस कमी को रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से पूरा किया जाता है। अधिकांश किसान संतृप्त मात्रा में रासायनिक खाद के उपयोग के बावजूद इष्टतम

कीट प्रबंधन के लिए तरल खाद (लिक्विड मेन्योर)

जैविक तरीके से फसलों/फलदार पौधों/सब्जियों आदि मे लगने वाले कीटों के उचित व प्रभावकारी प्रबंधन के लिए विभिन्न प्रकार के कीटनाशी गुणों वाले खरपतवारों का उपयोग तरल

मेटाराइजियम का प्रयोग जैविक कीटनाशक के रूप मे

"मेटाराइजियम एनिसोप्लीएक प्रकार की एंटोमोपैथोजेनिक फंजाई (कीटरोगजनक फफूंद) होती है, जो की एक फफूँद आधारित जैविक कीटनाशक के

जड़ गलन रोग की समस्या के लिए मृदा एवं बीज उपचार का जैविक तरीका

ट्राइकोडर्मा विरीडी (जैविक फफूंदनाशी) को 4 कि.ग्रा. प्रति हैक्टेयर की दर से 100 कि.ग्रा. देशी खाद (कम्पोस्ट या वर्मीकम्पोस्ट) में अच्छी तरह मिलाकर 20 से 25 दिनों के लिए छायां मे रखें और पानी छिड़क कर